पिकाच्या सुरवातीच्या अवस्थेमध्ये येणाऱ्या बुरशीजन्य रोग, रसशोषक किडी, खोडमाशी यांमुळे पिकांचे मोठे नुकसान होत असते. त्यांचा प्रादुर्भाव रोखण्यासाठी पेरणीपूर्वी बीज प्रक्रिया करणे आवश्यक असते. पिकाच्या सुरवातीच्या अवस्थेमध्ये येणाऱ्या रोग, किडींचा प्रादुर्भाव रोखण्यासाठी बीज प्रक्रिया उपयुक्त ठरते. त्यासाठी पेरणीपूर्व बीज प्रक्रियेसाठी वापरावयाची रासायनिक, जैविक बुरशीनाशके आणि कीटकनाशके यांची माहिती घेऊ.
रोग नियंत्रणासाठी बीजप्रक्रिया व बुरशीनाशकाचे प्रमाण | - | - | - |
पिके | रोग | रासायनिक बुरशीनाशक | मात्रा प्रतिकिलो बियाणे |
कपाशी | अणुजीवी करपा व मूळकूज | कार्बोक्सिन (३७.५ टक्के) + थायरम (३७.५ टक्के डीएस) (मिश्र घटक) | ३.५ ग्रॅम |
कपाशी | अणुजीवी करपा | कार्बोक्सिन (७५टक्के डब्लू पी) | २-२.५ ग्रॅम |
तूर | मर, मूळकूज व खोडकूज | कार्बोक्सिन (३७.५ टक्के) + थायरम (३७.५ टक्के डीएस) | ४ ग्रॅम |
सोयाबीन | कॉलर रॉट, मूळ आणि खोडसड, मर | कार्बोक्सिन (३७.५ टक्के) + थायरम (३७.५ टक्के डीएस) | ३ ग्रॅम |
मका | रोपावरील करपा | थायरम (७५ डब्ल्यु. एस.) | ३ ग्रॅम |
भुईमूग | कॉलर रॉट, मूळ आणि खोडकूज | कार्बोक्सिन (३७.५ टक्के) + थायरम (३७.५ टक्के डीएस) | ३ ग्रॅम |
भुईमूग | कॉलर रॉट व पानावरील ठिपके | मॅंकोझेब (७५ टक्के डब्ल्यु पी) | २.५ - ३ ग्रॅम |
भुईमूग | कॉलर रॉट, मूळ आणि खोडकूज | टेब्युकोनॅझोल (२ टक्के डी एस) | १.२५ ग्रॅम |
भुईमूग | कॉलर रॉट, कोरडी मूळकूज आणि पानावरील टिक्का रोग | कार्बेन्डाझिम (२५ टक्के) + मँकोझेब (५०टक्के डब्ल्यु एस) | ३.५ ग्रॅम |
तीळ | मूळ, खोड सड व मर | कार्बोक्सिन (३७.५ टक्के) + थायरम (३७.५ टक्के डीएस) | ३ ग्रॅम |
ज्वारी | दाण्यावरील बुरशी व करपा | थायरम (७५ डब्ल्यु एस) | ३ ग्रॅम |
ज्वारी | केवडा | मेटालॅक्झिल एम (३१.८ टक्के ईएस) मेटालॅक्झिल एम (३५ टक्के डब्ल्यु एस) | २ मिलि
६ ग्रॅम |
भात | बियाण्यामधून होणारे रोग | थायरम (७५ डब्ल्यु एस) | ३ ग्रॅम |
भात | करपा | कार्बेन्डाझिम (५० टक्के डब्लू पी) | २ ग्रॅम |
सूर्यफूल | केवडा | मेटालॅक्सिल एम (३१.८% ईएस) | २ मिली |
बाजरी | केवडा/गोसावी | मेटालॅक्सिल एम (३१.८% ईएस) | २ मिलि |
कीड नियंत्रणासाठी कीटकनाशके व त्यांचे प्रमाण | - | - | - |
पिके | कीड | कीटकनाशकाची रासायनिक बीज प्रक्रिया | मात्रा प्रतिकिलो बियाणे |
कपाशी | रसशोषक किडी | इमिडाक्लोप्रिड (४८ एफ एस)
थायामिथोक्झाम (३० एफ एस) | ९ मि.लि.
१० मि.लि. |
सोयाबीन | खोडमाशी व रस शोषक किडी | थायामिथोक्झाम (३० एफ एस) | १० मि.लि. |
मका | खोडमाशी | थायामिथोक्झाम (३० एफ एस) | ८ मि.लि. |
ज्वारी | खोडमाशी | थायामिथोक्झाम (७० डब्ल्यु एस) इमिडाक्लोप्रिड (४८ एफ एस)
थायामिथोक्झाम (३० एफ एस) | १० ग्रॅम
१२ मि.लि.
१० मि.लि. |
बाजरी | वाळवी व खोडमाशी | इमिडाक्लोप्रिड (७० डब्लू एस)
इमिडाक्लोप्रिड (४८ एफ एस) | १० ग्रॅम
१२ मि.लि. |
ऊस | वाळवी | इमिडाक्लोप्रिड (७० डब्ल्यु एस) | १०-१५ ग्रॅम |
जैविक बीजप्रक्रिया रासायनिक बुरशीनाशकाला पर्याय म्हणून ट्रायकोडर्मा या बुरशीजन्य घटकाचा वापर पिकावरील रोग नियंत्रणासाठी होत आहे. पिकावरील मर, मूळकूज अशा जमिनीत वास्तव्यास असणाऱ्या रोगकारक बुरशीमुळे उद्भवणाऱ्या रोगाचे (उदा. फ्युजॅरीयम, रायझोक्टोनिया, स्क्लेरोशीयम, पिथीयम) नियंत्रण ट्रायकोडर्मा बीज प्रक्रियेमुळे होऊ शकते.
बीज प्रक्रियेकरिता ट्रायकोडर्माची लागणारी मात्रा | - | - | - |
पिके | रोग | जैविक बीज प्रक्रिया | मात्रा प्रतिकिलो बियाणे |
तूर | मर, मूळकूज व खोडकूज | ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी (१ टक्के डब्ल्यु पी) | ८ ग्रॅम |
मूग | मूळकूज | ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी १टक्के (डब्ल्यु पी) | ४ ग्रॅम |
उडीद | मूळकूज | उडीद ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी (१टक्के डब्ल्यु पी) | ४ ग्रॅम |
चवळी | मूळकूज | ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी (१टक्के डब्ल्यु पी) | ४ ग्रॅम |
मका | मर व मूळकूज | ट्रायकोडर्मा हरजानियम(२टक्के डब्ल्यु पी) | २० ग्रॅम |
भुईमूग | खोडकूज | ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी (१टक्के डब्ल्यु पी) | ४ ग्रॅम |
सूर्यफूल | बियाण्याची कूज व मूळकूज | ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी (१टक्के डब्ल्यु पी) | ६ ग्रॅम |
टोमॅटो | रोपट्याची मर | ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी (१टक्के डब्ल्यु पी) | ९ ग्रॅम |
मिरची | रोपट्याची मर | ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी (१टक्के डब्ल्यु पी) | ४ ग्रॅम |
फुलकोबी | देठाची कूज | ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी (१टक्के डब्ल्यु पी) | ४ ग्रॅम |
वांगे | मर, मूळकूज व रोपट्याची मर | ट्रायकोडर्मा व्हिरीडी (१टक्के डब्ल्यु पी) | ५ ग्रॅम |
ट्रायकोडर्मा बुरशीचे फायदे
ट्रायकोडर्मा बुरशीचा प्रभावी वापरासाठी आवश्यक बाबी
संपर्क : डॉ. अनिल ठाकरे,९४२०४०९९६० (प्रमुख, प्रादेशिक कृषी संशोधन केंद्र, अमरावती.)
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